Saturday, February 13, 2010

यादें

दिलके रिश्तोंकी डोर तो टूट जाती है फासलों से
यादोंकी जंज़ीरोंको कौन तोड़ पाया है
हसते है आजभी हम इस दिलकी धड़कनसे
ए कातिल, तेरी हँसीको कौन भूल पाया है

याद करते हैं यारोंको,
यादोंसे दिल भर आता है...
कभी साथ जिया करते थे,
आज मिलने को दिल तरस जाता है...

दिलके गमको आँसुओंसे बयान करता है कोई
धूपमें ज़मानेकी साएको तरसता है कोई
तनहाईमेंभी तनहा रह नहीं पाता है वो
उसकी यादों में हर पल खोया रहता है कोई

चाँद तारोंका नूर आप पर बरसे
हर कोई आपके दोस्तीके लिए तरसे
ज़िंदगी में आपको इतनी खुशियाँ मिले
की आप थोड़ा सा गम पानेके लिए तरसे

Thursday, January 7, 2010

अब ठान जो ली है।

कटी पतंगपे ईतना उदास ना हो मेरे दोस्त
मैनेभी वो खत हवामे उडा दिये है...
उस दोर से कटे तेरे हाथोंपर मरहम लगा
मैनेभी ना लिखनेकी अब ठान जो ली है...

आगमे जलकर कोई कैसे ना उसे बुझाये
मैनेभी परछाईया अंधेरोंमे बिखेर दी है...
सपनोंका जहां हकिकतमे आये तो आये
मैनेभी ना सोनेकी अब ठान जो ली है...

ऊस ज़ेहेरका कोई क्या इलाज करेगा फारीक
मैनेभी कडवाहट शराबमे मिलादी है...
अपने अश्कोंको ज़मिनपे ना गिरने देना
मैनेभी ना डुबनेकी अब ठानजो ली है...

दर्दसे बिलगते किसी मुक् को देख है?
मैनेभी बेईंतहा मोहोब्बत की है...
अधमरी सिसकियोंकोही सांस केह लेना
मैनेभी अब ना मरने की ठान जो ली है...