दिलके रिश्तोंकी डोर तो टूट जाती है फासलों से
यादोंकी जंज़ीरोंको कौन तोड़ पाया है
हसते है आजभी हम इस दिलकी धड़कनसे
ए कातिल, तेरी हँसीको कौन भूल पाया है
याद करते हैं यारोंको,
यादोंसे दिल भर आता है...
कभी साथ जिया करते थे,
आज मिलने को दिल तरस जाता है...
दिलके गमको आँसुओंसे बयान करता है कोई
धूपमें ज़मानेकी साएको तरसता है कोई
तनहाईमेंभी तनहा रह नहीं पाता है वो
उसकी यादों में हर पल खोया रहता है कोई
चाँद तारोंका नूर आप पर बरसे
हर कोई आपके दोस्तीके लिए तरसे
ज़िंदगी में आपको इतनी खुशियाँ मिले
की आप थोड़ा सा गम पानेके लिए तरसे
Saturday, February 13, 2010
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